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एक किसान पूरी रात अपने खेत की रखवाली करता है । सुबह उसका बेटा आकर खेत की रखवाली करने लगता है व रात – रात भर जगकर पानी लगाता है । बरसात नही होती तो कर्जा लेकर बोरिग कराता है या पानी भी खरीदकर लगाता है । पूरे छः माह तक खेत की रखवाली व बहुत मेहनत करने के बाद, उस किसान की फसल पक कर तैयार होती है । वह किसान के लिएे सबसे अधिक खुशी का दिन होता है ।

अचानक एक दिन बीमारी व अकस्मात कारणो से वह रखवाली नही कर पाता है । तभी बेसाहारा ( अबारा ) जानवर आकर पूरी फसल को बर्बाद कर देते है । ( कुछ किसान लाखो रुपये कर्ज या जमीन का कुछ टुकङा बेच कर के लोहे की बाङ ( फेंसिग ) लगाते है । ) जिससे किसान की छः माह की मेहनत, उसका धन, सबकुछ बर्बाद हो जाता है , क्योकि उसकी आय का स्त्रोत, वह फसल ही होती है। अब वह अपने बच्चो की फीस , बेटी का विवाह , फसल के लिया हुआ कर्जा, कैसे वापस करे ! अन्त मे उसके पास दो विकल्प ही रह जाते है वह अौर अधिक कर्जा ले या आत्महत्या । जिसमे अधिकासतः किसान कर्जा ही लेते है । लेकिन वह धीरे – धीरे कर्जा मे ही दबता जाता है ।

इससे केवल किसान ही गरीब नही होता है । पूरा राष्ट्र का आर्थिक तंत्र नष्ट्र होने लगता है । आज देश की ७० % जनता कृषि पर निर्भर है । लेकिन जी० ङी० पी० मे केवल १६ % भागीदारी है, क्यो ( जो १९५१ मे ५० % थी ) ?

यह समस्या के समाधान के लिएे काफी शोध करने के बाद, यह निर्णय लिया गया कि यदि हम असहाय ( अाबारा ) जानवरो से भी फसल से बचा सके तो हमारे राष्ट्र के किसानो का खर्च होने वाले हजारो करोङ रुपये व बेसकीमती फसल को बचा सकते है । इससे न केवल किसानो को अप्रत्यक्ष रुप से आय मे बृद्धि होगी । बल्कि उनके द्वारा लिया जाने वाला कर्ज भी कम होगे । जिससे राष्ट्र की जी० ङी० पी० बङने के साथ ही , राष्ट्र आर्थिक रुप से शक्तिशाली होगा । व विश्वगुरु का सपना साकार कर सकेगे ।

यह समस्या का समाधान के लिएे यहाँ पङे ।